Journey

It's not WHAT you see but HOW you see it - understand the difference !!

Tuesday, 19 June 2012

अपराध बोध....


खामोश होकर सुन रही हूँ मैं......
आज नहीं कहूँगी कुछ भी...
नज़रे झुकाकर क्यों खड़े हो यूँ  ?
कुछ तो कहो ...


प्रश्न….दुविधा…..भय ....
आखिर क्या है तुम्हारे मन में ?




मैं यूँ तो चेहरे पढ़ लेती हूँ,
पर डरती हूँ तुम्हारा चेहरा पढ़ने से....
कहीं कुछ गलत ना समझलूँ 
तुम कहके देखो, मैं समझूंगी....

नज़रे क्यों चुरा रहे हो ?
क्या है जो मन में छुपा  रहे हो ?

स्मृति.... गहरी-सुनहरी .........
सब सजी है पलकों पे मेरी,
वह अट्टहास,वह चिड़ाना,
वह रूठना, मनाना  

वो यूँही की बाते ,
वो सपनो से सजी राते...
वो मिलने की चाहत ,
वो हवा के हर झोके में तेरे आने की आहट....


............................................


तुम आज सामने हो मेरे ,फिर भी....
तुम पास नहीं....
लेकिन मीलो दूर रहकर भी,
हम साथ थे कभी ......

कुछ तो बोलो...... मैं सुनुगी ,
मैं कुछ भी नहीं कहूँगी,
क्या हुआ ऐसा जो वीरान है ये रिश्ता ?
जिसको सोचा जीवन-पर्यन्त,
वह साथ था बस कुछ दिन का ?


उलझनों में तुमने मुझको ऐसा बाँधा,
की तुमपर हक़ भी नहीं जता सकती....
क्या वाकई इन मुर्झाए फूलों में ,
अब फिरसे खुशबू आ नही सकती ?


~ सौम्या