Journey

It's not WHAT you see but HOW you see it - understand the difference !!

Tuesday, 14 February 2012

।।लेकिन।।

यूँही  निकला मैं  सैर पर आज और  ,
न जाने क्यों ,मुझे  हर  वो  लम्हा..
फिर  याद  आने  लगा...
जिसमे,  थम  के  रह  गयी  तुम  कही ,
जिसमे,  उलझकर  रह  गया  मैं  कही .
गुज़र  तो  रही  है  ज़िन्दगी....लेकिन  ....
 अब  इसमें  वो  बात  नहीं 
………………. 

आहटों  को  तुम्हारी  मैं जान लेता था  ,
हवा  में  बिखरी  खुशबूं से पहचान  लेता था ,
मेरा अक्स दिखाई  देता था , तेरी आँखों  की  गहराई  में
चुपचाप बेबस रोता हूँ , अब मैं अपनी तन्हाई में। 
काश  लौट  आती  वो  बारिश , भीगे  थे  जिसमे  हम -तुम  कभी ...
गुज़र  तो  रही  है  ज़िन्दगी....लेकिन  ....
 अब  इसमें  वो  बात  नहीं 
………………

अब भी समेट रहा  हूँ , टुकड़े जो बिखेर गयी तुम ,
आज भी सोचता हूँ क्यों मूह फेर गयी तुम ?
ये लहू की  छीटे है , 
जल्द छूटेगी  नहीं।

हाँ ... गुज़र  तो  रही  है  ज़िन्दगी..... लेकिन  ....
अब  इसमें  वो  बात  नहीं ।।।


                                                                               
                                                                   ~ सौम्या