Journey

It's not WHAT you see but HOW you see it - understand the difference !!

Thursday, 1 August 2013

kabhi kabhi .......

हाँ यह सच  है , तुम पुकारते तो भी न सुनती मैं ,
तुम रोकते तो भी न रूकती मैं
तुम बुलाते तो भी न आती मैं। ।

पर काश पुकारा होता,काश रोकते , काश बुलाते

पता नहीं शायद …… शायद मैं रुक जाती, शायद मैं ना जाती


मगर यह हो न सका ….और अब यह आलम है कि -
तू नहीं ,तेरा गम, तेरी जुस्तुजू भी नहीं
गुजर रही है ज़िन्दगी ऐसे,जैसे
इसे किसी के सहारे की आरज़ू भी नहीं।