हजारों ख्वाइशे ऐसी ...
आज इस गुरूर को,थोड़ी देर छोड़ दो ..........
अपने हाथ से छुओ ,रूह को करीब से ,
आज मुँह मोड़ लो , अपने अतीत से।
थोड़ा कुछ तुम कहो,थोड़ी देर मैं कहूँ ,
और फिर खामोश बैठकर ,वक़्त को ,देर तक हम सुने।।
मोतियों को झरने दो,तितलियों को उड़ने दो,
उन्गलियो की चित्रकारी ,रेत पर बिखरने दो।।
थोड़ी देर शर्म की चादर समेट दो।
आँखों को आँखों की चोरी पकड़ने दो।।
मेरे गीत तुम सुनो ,तेरे गीत मैं सुनू
आज हाथ थाम लो, थोड़ी दूर तो चलो ....................
~ सौम्या