Journey

It's not WHAT you see but HOW you see it - understand the difference !!

Saturday 22 December 2012

हजारों ख्वाइशे  ऐसी ...



आज  हाथ  थाम लो ,थोड़ी दूर तो चलो ...
                                    आज इस गुरूर  को,थोड़ी देर छोड़ दो ..........

अपने हाथ से छुओ ,रूह को करीब से ,
                                     आज मुँह  मोड़ लो , अपने अतीत से।




थोड़ा कुछ तुम कहो,थोड़ी देर मैं कहूँ ,
                                      और फिर खामोश बैठकर  ,वक़्त को ,देर तक हम सुने।।

मोतियों को झरने दो,तितलियों को उड़ने दो,
                                       उन्गलियो की चित्रकारी ,रेत  पर बिखरने दो।।

थोड़ी देर शर्म की चादर समेट दो।
                                       आँखों को आँखों की चोरी पकड़ने दो।।

मेरे गीत तुम सुनो ,तेरे गीत मैं सुनू
                                        आज हाथ थाम लो, थोड़ी दूर तो चलो ....................



~ सौम्या



Thursday 20 December 2012


एक रोज़ मैं तड़पकर इस दिल को थाम लूंगी ...




ज़िन्दगी की तेज़ हवाओं  में कई पल बह गए ...
और मैं चुपचाप खड़े देखती  रही  ..........
खोई हुई  हूँ  इस कदर,
मैं अपनी ही बनायी  दुनिया में
 की अजनबी लगता है हर शख्स।।। हकीकत में ,
अनजान लगती है हर डगर हर दिन।।।।।।
क्यों है,क्या है ...सवालों में गुम  हूँ कहीं।।।
मैं इतनी दूर हूँ।।।फिर भी ...... पीर पहाड़ सी है
 आज भी ..

खुद से भागती हूँ या औरो से छिपती हूँ, नहीं पता मुझे 
बहुत मुश्किलों  के  बाद तैरना सीखा ..
 फिर एक ही पल में एक धक्का ...
और मैं डूब जाती हूँ फिर उन्ही गहराईयों  में 
जिनसे  तैर  करके  ऊपर आई थी।।।
कब तक ............

आदत बन चुका है अब , आँखों में  पानी भी ..
आँखों की नमी से ये अहसास होता है,
की अभी भी जिंदा हूँ मैं 
और पहाड़ जैसी ज़िन्दगी काटनी है ,
अभी भी।।

भाग के कहाँ जाउंगी ..
तेरे सायों से कैसे भाग पाऊँगी 
टूटके या भिखरके .... 
जिंदा तो रहना है ..
अपनी हर हार को, 
तेरी हर जीत को,
         हँस  के सहना है .......


~ सौम्या