Journey

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Tuesday, 8 November 2016

kuch saal baad....


पूछते है अपनी आँखों को  बंद कर खुदसे
किया ये  क्या तुमने, आप अपने संघ,
जो रंग सारे उड़ गए है,कटे हुए है पंख ?
कापती है आवाज़ ,क्या कहूंगी किसी से
 जहाँ पर ख्वाब बस्ते थे ,
वहाँ  अब राख फैली है 
एक दो दाग नहीं,
पूरी चूनर ही मैली है  
दिल टूटा तो था पर उस बात को बीते अरसा हुआ
लेकिन आज भी जीवन में सन्नाटा पसरा हुआ 
अजीब कश्मकश सी ,आज भी हैरान है ज़िन्दगी
खुदसे थक चुकी,सबसे परेशान है ये ज़िन्दगी 
ज़िन्दगी को खुलके जी पाना ,ये तक़दीर होती है 
कुछ लोगो की ज़िन्दगी की वीरान तस्वीर होती है 




 ....... 

नहीं जाना है लौटके उस वक़्त में पीछे
और न अपने आप को फिरसे गिराना है
मैं ज़िंदा हूँ, मेरी ज़िन्दगी को मुस्कुराना है
जो हो चुका  कल में ,वो मेरा गुज़रा ज़माना है  ॥ 


~ M.e.D