मेरे मौत के तमाशे में तुम शामिल होने आ जाना
मेरे उठते जनाज़े को कन्धा देने आ जाना
मेरे खून-ए-दिल से उठते उस दर्द के धुँए से
तुम रूह अपनी तपा जाना
जीते जी तो कभी न आये , मैय्यत पे ज़रूर आ जाना
झूठे ही सही चंद बूँद आँसू गिरा जाना
हमारी आख़री मुलाक़ात को मुक़म्मल बना जाना |
- सौम्या