Journey

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Monday, 16 March 2015

Ae zindagi gale laga le

ऐ ज़िन्दगी यूं तो मुझे तुझसे कोई गिला नहीं  है
फिर भी तू मुझसे इतनी खफा खफा क्यों है

हर एक दिन गुज़रता है एक सदी की तरह
एहसास बह रहे है मन में नदी की तरह

कही डूब ना जाए हम संभलते संभलते
पाँव थक रहे है अब चलते चलते

यह किस वीराने में ला खड़ी है ज़िन्दगी
क्यों इतनी रूठी रूठी, खफा है ज़िन्दगी

खुशियाँ ले रही उबासियां जबसे
दस्तक दे रही उदासियाँ तबसे

घाव भर नहीं रहे,गहरा गए है
वो आने का कहके चौखट पे हमको ठहरा गए है

जाने किस फ़िराक में गमज़दा है ज़िन्दगी
एक अरसा बीता, फिर भी। …
न जाएं क्यों आज  भी हमसे खफा है ज़िन्दगी

~ सौम्या